bharat ki mitti ka vargikaran

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bharat ki mitti ka vargikaran: यहां पर आप भारत की मिट्टी का वर्गीकरण  के बारे में अध्ययन करेगे जो प्रतियोगिता परीक्षा में पूछे जाते है ये जानकारी आपके लिये बहुत ही महत्वपूर्ण हेने वाला है तो इस पोस्ट को बिना छोड़े पूरा जरूर पढ़ें। तथा हमारे टेलीग्राम ग्रुप से जॉइन अवश्य करें

bharat ki mitti ka vargikaran

मृदा विज्ञान : मिट्टी के विज्ञान को मृदा विज्ञान यानी ( peadology ) कहा कहा जाता हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने भारतीय मिट्टी को आठ भागों में विभाजित किया हैं। मिट्टी के गुणों के अनुसार ही मिट्टी की विभाजित किया गया हैं। जो इस प्रकार से हैं-

i. जलोढ़ मिट्टी ( alluvial soid )

ii. काली मिट्टी (black soil )

iii. लाल एवं पीली मिट्टी (red and yellow soil )

iv. लैटराइट मिट्टी ( laterite soil)

v.शुष्क मृदा (Arid soils)

vi. लवण मृदा (Saline soils)

vii.पीटमय मृदा (Peaty soil) तथा जैव मृदा (Organic soils

viii. वन मृदा (Forest soils)

i. जलोढ़ मिट्टी ( alluvial soid )

bharat ki mitti ka vargikaran

यह नदियों द्वारा लायी गयी मिट्टी है। इस मिट्टी में पोटाश की बहुलता होती है, लेकिन नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं ड्र्यूमस की कमी होती है। यह भारत की सबसे उपजाऊ मृदा है।

यह मिट्टी भारत के लगभग 22% क्षेत्रफल पर पायी जाती है। भारत का संपूर्ण उत्तरी मैदान, तटीय मैदान जलोढ़ मिट्टी का बना है। यह दो प्रकार की होती है— 1. बांगर (Bangar) और 2. खादर (Khadar)

पुराने जलोढ़ मिट्टी को बांगर तथा नयी जलोढ़ मिट्टी को खादर कहा जाता है।

जलोढ़ मिट्टी उर्वरता के दृष्टिकोण से काफी अच्छी मानी जाती है। इसमें धान, गेहूँ, मक्का, तिलहन, दलहन, आलू आदि फसलें उगायी जाती हैं।

काली मिट्टी (black soil )

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इसका निर्माण बेसाल्ट चट्टानों के टूटने-फूटने से होता है। इसमें आयरन, चूना, एल्युमिनियम एवं मैग्नेशियम की बहुलता होती है। इस मिट्टी का काला रंग टिटेनीफेरस मैग्नेटाइट एवं जीवांश (Humus) की उपस्थिति के कारण होता है। इस मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की अधिकता होती है।

इस मिट्टी को रेगुर मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है। कपास की खेती के लिए यह सर्वाधिक उपयुक्त होती है। अतः इसे काली कपास की मिट्टी भी कहा जाता है। अन्य फसलों में गेहूँ, ज्वार, बाजरा आदि को उगाया जाता है।

भारत में काली मिट्टी गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र, ओडिशा के दक्षिणी क्षेत्र, कर्नाटक के उत्तरी जिला, आन्ध्रप्रदेश के दक्षिणी एवं समुद्रतटीय क्षेत्र, तमिलनाडु के सलेम, रामनाथपुरम, तथा तिरुनलवैली जिलों एवं राजस्थान के बूँदी एव टोंक जिलों में पायी जाती है।

iii. लाल एवं पीली मिट्टी (red and yellow soil )

bharat ki mitti ka vargikaran

इसका निर्माण जलवायविक परिवर्तनों के परिणामस्वरूप रवेदार एवं कायान्तरित शैलों के विघटन एवं वियोजन से होता है। इस मिट्टी में सिलिका एवं आयरन की बहुलता होती है।

लाल मिट्टी का लाल रंग लौह-ऑक्साइड की उपस्थिति के कारण होता है, लेकिन जलयोजित रूप में यह पीली दिखाई पड़ती है।

यह अम्लीय प्रकृति की मिट्टी होती है। इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं ह्यूमस की कमी होती है। यह मिट्टी प्रायः उर्वरता-विहीन बंजर भूमि के रूप में पायी जाती है।

इस मिट्टी में कपास, गेहूँ, दालें व मोटे अनाजों की कृषि की जाती है। भारत में यह मिट्टी आन्ध्रप्रदेश एवं मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग, छोटानागपुर के पठारी क्षेत्र, पश्चिम बंगाल के उत्तरी-पश्चिमी जिलों, मेघालय की गारो, खासी एवं जयन्तिया के पहाड़ी क्षेत्रों, नगालैंड, राजस्थान में अरावली के पूर्वी क्षेत्र, महाराष्ट्र, तमिलनाडु एवं कर्नाटक के कुछ भागों में पायी जाती है।

चूना का इस्तेमाल कर लाल मिट्टी की उर्वरता बढ़ायी जा सकती है।

iv. लैटराइट मिट्टी ( laterite soil)0

इसका निर्माण मानसूनी जलवायु की आर्द्रता एवं शुष्कता के क्रमिक परिवर्तन के परिणामस्वरूप उत्पन्न विशिष्ट परिस्थितियों में होता है। इसमें आयरन एवं सिलिका की बहुलता होती है।

शैलों के टूट-फूट से निर्मित होने वाली इस मिट्टी को गहरी लाल लैटेराइट, सफेद लैटेराइट तथा भूमिगत जलवायी लैटेराइट के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

गहरी लाल लैटेराइट में लौह-ऑक्साइड तथा पोटाश की बहुलता होती है। इसकी उर्वरता कम होती है, लेकिन निचले भाग में कुछ खेती की जाती है ।

सफेद लैटेराइट की उर्वरकता सबसे कम होती है और केओलिन के कारण इसका रंग सफेद होता है । भूमिगत जलवायी लैटेराइट काफी उपजाऊ होती है, क्योंकि वर्षाकाल में लौह-ऑक्साइड जल के साथ घुलकर नीचे चले जाते हैं।

लैटेराइट मिट्टी चाय, इलायची एवं काजू की खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होती है।

भारतीय मिट्टी के वर्गीकरण,bharat ki mitti question in hindi

1.भारत में कितने प्रकार की मिट्टी पाई जाती?

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार भारत में 8 प्रकार की मिट्टी पाई जाती है

2.भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार भारत में कितने प्रकार की मिट्टियाँ पायी जाती है?

आठ प्रकार की

सबसे अच्छी मिट्टी कौन सी होती है?

जलोढ़ मिट्टी ( alluvial soid )

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Rakesh Prajapati

Rakesh Prajapati, a seasoned educator with five years of valuable teaching experience, brings a wealth of expertise to the field. Armed with a B.Ed degree, he possesses a strong foundation in pedagogical practices. Alongside his teaching role, Rakesh is the visionary founder of pdfstore.co.in, demonstrating not only his commitment to education but also his entrepreneurial spirit in making educational resources more accessible. His extensive experience and innovative contributions underscore his dedication to the field of education.

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